વસંત પંચમીનું
મહત્વ
कड़कड़ाती ठंड के अंतिम पड़ाव के रूप में
वसंत ऋतु का आगमन प्रकृति को वासंती रंग से सराबोर कर जाता है। अंगारों की तरह
दिखते पलाश के फूल, आम के पेड़ों पर आए बौर, हरियाली
से ढँकी धरती और गुलाबी ठंड के इस ऋतु हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्व है। माघ के
महीने की पंचमी को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। मौसम का सुहाना होना इस
मौके को और रूमानी बना देता है। परंपरागत त्योहार होने के कारण कई प्राचीन
मान्यताएँ भी समाज में हैं।
इस दिन बच्चों को पहला अक्षर लिखना
सिखाया जाता है,
पितृ
तर्पण किया जाता है, कामदेव की पूजा की जाती है और सबसे
महत्वपूर्ण विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पहनावा भी परंपरागत होता
है। पुरुष कुर्ता-पाजामा में और स्त्रियाँ पीले या वासंती रंग की साड़ी पहनती हैं।
गायन और वादन सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं जो सरस्वती
माँ को अर्पित किए जाते हैं।
वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान
पंचमी भी कहते हैं। अमेरिका में रहने वाले बंगाली समुदाय के लोग इस त्योहार को
धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन वे सरस्वती पूजा का विशेष और वृहद आयोजन करते हैं
जिसमें वहाँ का भारतीय समुदाय शामिल होता है।
श्रीकृष्ण ने की प्रथम पूजा : विद्या की
अभिलाषा रखने वाले व्यक्ति के लिए ये दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। सबसे पहले माँ
सरस्वती की पूजा के बाद ही विद्यारंभ करते हैं। ऐसा करने पर माँ प्रसन्न होती है
और बुद्घि तथा विवेकशील बनने का आशीर्वाद देती है। विद्यार्थी के लिए माँ सरस्वती
का स्थान सबसे पहले होता है।
इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करने के
पीछे भी पौराणिक कथा है। इनकी सबसे पहले पूजा श्रीकृष्ण और ब्रह्माजी ने ही की है।
देवी सरस्वती ने जब श्रीकृष्ण को देखा तो उनके रूप पर मोहित हो गईं और पति के रूप
में पाने की इच्छा करने लगीं। भगवान कृष्ण को इस बात का पता चलने पर उन्होंने कहा
कि वे तो राधा के प्रति समर्पित हैं। परंतु सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए
उन्होंने वरदान दिया कि प्रत्येक विद्या की इच्छा रखनेवाला माघ मास की शुक्ल पंचमी
को तुम्हारा पूजन करेगा।
यह वरदान देने के बाद स्वयं श्रीकृष्ण
ने पहले देवी की पूजा की। सृष्टि निर्माण के लिए मूल प्रकृति के पाँच रूपों में से
सरस्वती एक है,
जो
वाणी, बुद्घि, विद्या
और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी है। वसंत पंचमी का अवसर इस देवी को पूजने के लिए
पूरे वर्ष में सबसे उपयुक्त है क्योंकि इस काल में धरती जो रूप धारण करती है, वह
सुंदरतम होता है।
वसंत पंचमी एक नजर में
- यह दिन वसंत ऋतु के आरंभ का दिन होता
है।
- देवी सरस्वती और ग्रंथों का पूजन किया
जाता है।
- नव बालक-बालिका इस दिन से विद्या का
आरंभ करते हैं।
- संगीतकार अपने वाद्ययंत्रों का पूजन
करते हैं।
- स्कूलों और गुरुकुलों में सरस्वती और
वेद पूजन किया जाता है।
- हिन्दू मान्यता के अनुसार वसंत पंचमी को
अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त जाने शुभ और मांगलिक कार्य किए
जाते हैं। Source: Internet